भारत के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में Twitter) पर बीते कुछ दिनों से एक हैशटैग जबरदस्त ट्रेंड कर रहा है – #FundKaveriEngine. इस ट्रेंड ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भारत के जागरूक नागरिक अब न केवल सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर बल्कि विज्ञान और तकनीकी मामलों में भी गंभीर भागीदारी कर रहे हैं।
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— Ankit Kumar Avasthi (@kaankit) May 26, 2025
इस अभियान की मांग सीधी और स्पष्ट है – सरकार कावेरी इंजन प्रोजेक्ट को फंड करे।
क्या है Kaveri Engine?
Kaveri Engine भारत का स्वदेशी फाइटर जेट इंजन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट है, जिसे DRDO और GTRE (Gas Turbine Research Establishment, Bengaluru) द्वारा विकसित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य भारतीय लड़ाकू विमान जैसे तेजस को विदेशी इंजनों की निर्भरता से मुक्त करना है।
फिलहाल तेजस में General Electric (GE) का अमेरिकी GE F404 इंजन लगाया जा रहा है। लेकिन भारत जैसे उभरते हुए रक्षा राष्ट्र के लिए यह जरूरी है कि वह अपना खुद का जेट इंजन बनाए – जो आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
फाइटर जेट इंजन क्यों है अहम?
फाइटर जेट का दिल होता है उसका इंजन। ये इंजन न सिर्फ थ्रस्ट (यानि उड़ान भरने की ताकत) देता है बल्कि उसकी पूरी परफॉर्मेंस, पिकअप, एविएशन स्पीड और फ्यूल एफिशिएंसी को भी तय करता है।
उदाहरण के तौर पर, GE F404 इंजन अपने वजन से करीब 9.4 गुना थ्रस्ट देने में सक्षम है। ऐसा इंजन बनाना किसी भी देश के लिए तकनीकी रूप से बेहद जटिल और खर्चीला काम होता है।
दुनिया में कौन बना पाया है फाइटर इंजन?
संयुक्त राष्ट्र में 193 देशों में से सिर्फ चार देश ही अब तक पूरी तरह से फाइटर जेट इंजन विकसित कर पाए हैं:
- अमेरिका
- रूस
- फ्रांस
- ब्रिटेन
यहां तक कि चीन भी आजतक पूरी तरह से भरोसेमंद फाइटर इंजन नहीं बना पाया और अभी भी रूस की तकनीक पर निर्भर है।
चुनौतियां क्या हैं?
- फाइटर इंजन में 400 से ज्यादा कलपुर्जे लगते हैं
- 1400°C तक गर्मी झेलने वाली मेटल अलॉय की जरूरत होती है
- इंजन टेस्टिंग के लिए हाई-एंड फैसिलिटीज और इंफ्रास्ट्रक्चर चाहिए
- मिश्रधातु, मटेरियल साइंस, कंपोजिट टेक्नोलॉजी पर भारी फंडिंग जरूरी है
लोग क्या कह रहे हैं?
सोशल मीडिया पर लोगों ने मीम्स, वीडियो और ट्वीट्स के माध्यम से सरकार से अपील की है कि वो कावेरी इंजन प्रोजेक्ट को जरूरी बजट उपलब्ध कराए।
कुछ यूजर्स ने मज़ाकिया अंदाज़ में यह तक कह डाला –
“पॉपकॉर्न पर 20% GST ले लो, लेकिन कावेरी इंजन को फंड कर दो!”
दूसरे यूजर्स ने कहा कि सरकारें आती-जाती रहेंगी, लेकिन “कावेरी इंजन फंड होता रहना चाहिए!”
अब समय है निर्णायक कदम का
कावेरी इंजन की मांग कोई भावनात्मक लहर नहीं, बल्कि भारत की वैज्ञानिक प्रगति की दिशा में जागरूकता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है।
अगर सरकार इस दिशा में सार्थक निवेश करती है, तो आने वाले वर्षों में भारत न केवल लड़ाकू विमान बनाएगा, बल्कि उनका दिल – इंजन – भी पूरी तरह स्वदेशी होगा।
आपका क्या कहना है? क्या भारत को कावेरी इंजन प्रोजेक्ट को फंड करना चाहिए? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं।