“KanKhajura” वेब सीरीज: एक ऐसी मनोवैज्ञानिक थ्रिलर जो आपके दिमाग में घुस जाएगी!
मुझे पता है कि धीरे-धीरे वेब सीरीज का क्रेज थोड़ा कम होता जा रहा है। वजहें भी वाजिब हैं – तीन एपिसोड एक साथ रिलीज करना और फिर हर हफ्ते एक-एक एपिसोड छोड़ना, ये फॉर्मूला दर्शकों को खींचने के बजाय दूर कर देता है। लेकिन इसी भीड़ में सोनी लिव (SonyLIV) ने एक ऐसा शो पेश किया है जो न सिर्फ पुराने समय की याद दिलाता है, बल्कि दिखाता है कि कंटेंट आज भी किंग है। हम बात कर रहे हैं “कानखजूरा (KaanKhajura)” की।
कहानी की शुरुआत: सिर्फ नाम नहीं, असर भी अजीब
जब आपने “KaanKhajura” नाम सुना, तो एक अजीब सा एहसास हुआ होगा। लेकिन यकीन मानिए, यह सिर्फ नाम नहीं, एक इशारा है कि आपको इस वेब सीरीज में कुछ भी सामान्य नहीं मिलने वाला। एक भी सीन ऐसा नहीं है जिसे आप ‘नॉर्मल’ कह सकें, और एक भी किरदार ऐसा नहीं है जो जल्द भूल जाएं।
मोहित रैना की धमाकेदार वापसी
मोहित रैना को आपने “देवों के देव महादेव”, “उरी”, “Mumbai Diaries” जैसी बेहतरीन प्रस्तुतियों में देखा होगा। लेकिन “KaanKhajura” में उनका कमबैक अलग स्तर पर है। उन्होंने न सिर्फ दमदार परफॉर्मेंस दी है, बल्कि यह भी दिखाया है कि एक किरदार के मानसिक द्वंद्व को कैसे उकेरा जाता है। लेकिन असली ‘एक्स फैक्टर’ शो का वो किरदार है जो KaanKhajura बनकर मोहित के दिमाग में घुसता है।
क्या है “कान खजूरा” की कहानी?
शुरुआत होती है एक जेल से, जहां दो अपराधी एक ही मर्डर केस में बंद हैं। सवाल उठता है – एक ही मर्डर और दो आरोपी? यहीं से कहानी पेचीदा और दिलचस्प हो जाती है। इनमें से एक आरोपी दरअसल पुलिस के लिए गुप्त तरीके से काम करता है। पुलिस उसे जेल में ऐसे अपराधियों के साथ रखती है जिनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं होते।
और यही आदमी है “KaanKhajura“। नाम जितना अजीब, काम उतना ही शातिर। यह किरदार दिखने में मामूली है, लेकिन दिमाग में घुसकर किसी को भी अपने इशारों पर नचा सकता है। कातिल से उसका जुर्म कबूल करवाना, वो भी इस अंदाज़ में कि उसे पता भी ना चले – यही इसकी खासियत है।
अतीत में छुपा एक रहस्य
“KaanKhajura” कोई आम आदमी नहीं है। वह 14 साल पहले भी जेल में था, जब पुलिस ने उसे एक मर्डर केस में पकड़ा था। चौंकाने वाली बात यह है कि उसने तब एक शब्द तक नहीं बोला। खामोशी से जुर्म कबूल कर लिया, चाहे वो किया हो या नहीं। अब सवाल ये है कि इतना चालाक इंसान उस वक्त चुप क्यों रहा?
दूसरी कहानी – गोवा का बिजनेसमैन और ब्लैकमेलिंग
शो में एक और ट्रैक है गोवा के एक पावरफुल बिजनेसमैन का, जो अपने नाम की सबसे ऊंची बिल्डिंग बनाना चाहता है ताकि सभी को दिखा सके कि उसका ‘बाप’ कौन है। लेकिन सपनों के रास्ते में आती है एक लड़की, जो उसे ब्लैकमेल कर रही है। फिर एक दिन वो लड़की अपने बाथरूम में खुदकुशी कर लेती है – बिना किसी शिकायती नोट के, बिना किसी डरे।
और उसी वक्त पता चलता है कि “कान खजूरा” जेल से बाहर आ चुका है। क्या यह महज़ इत्तेफाक है या कुछ और?
साइकोलॉजिकल थ्रिलर की अनूठी बुनावट
“कान खजूरा” एक साधारण क्राइम थ्रिलर नहीं है। यह धीरे-धीरे एक मनोवैज्ञानिक यात्रा बन जाती है। एक अपराधी के दिमाग में क्या चलता है, वो क्यों सोचता है जैसा वो सोचता है – यह वेब सीरीज बहुत बारीकी से दिखाती है।
आठ एपिसोड्स, आठ कहानियां, एक मिस्ट्री
वेब सीरीज में कुल आठ एपिसोड हैं। हर एपिसोड में नए किरदार आते हैं, जो एक नई कहानी लेकर आते हैं। लेकिन जब ये आठों मिलते हैं, तब जाकर एक बड़ी मिस्ट्री सामने आती है। यह तरीका आपको “Sacred Games” और “Asur” जैसी थ्रिलर वेब सीरीज की याद दिलाएगा।
विदेशी शो पर आधारित लेकिन देसी फ्लेवर
हालांकि इस सीरीज का कॉन्सेप्ट एक इजराइली वेब सीरीज पर आधारित है, लेकिन इसका हिंदी वर्जन इतना हटकर है कि आप भूल जाएंगे कि यह किसी का रीमेक है। इसके किरदार, बैकड्रॉप, संवाद और म्यूजिक – सब कुछ इतना यूनिक है कि एक ताजगी सी महसूस होती है।
परफॉर्मेंस: मोहित रैना और रोशन मैथ्यू ने लूटी महफिल
मोहित रैना इस शो की रीढ़ हैं। उनका संयमित, लेकिन इंटेंस परफॉर्मेंस हर सीन में दम भरता है। वहीं रोशन मैथ्यू को इस तरह लिखा गया है कि यदि वे असल में आपके सामने आ जाएं, तो आपको डर लग सकता है। सपोर्टिंग कास्ट भी काफी मजबूत है।
तकनीकी पक्ष और सिनेमैटोग्राफी
सिनेमैटोग्राफी की बात करें तो जेल की दीवारों, सायकोलॉजिकल टेंशन और क्राइम के अंधेरे को बखूबी पर्दे पर उतारा गया है। बैकग्राउंड स्कोर थ्रिल बनाए रखता है, और एडिटिंग टाइट है – न ज्यादा खिंचाव, न अधूरा एहसास।
क्लाइमेक्स: सबसे बड़ा सरप्राइज़
कहानी जैसे-जैसे बढ़ती है, दर्शक खुद को एक बड़े क्लाइमेक्स की उम्मीद में पाते हैं। और वाकई क्लाइमेक्स ऐसा है जो आपके होश उड़ा देगा। एक कैरेक्टर ऐसे रंग बदलता है कि सब कुछ उल्टा-पल्टा हो जाता है।
क्या है कमजोर पक्ष?
जहां शो का कांसेप्ट और क्लाइमेक्स दमदार हैं, वहीं इसके दो माइनस पॉइंट्स हैं:
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यह एक रीमेक है, तो कुछ दर्शकों को ओरिजिनलिटी की कमी खल सकती है।
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मोहित रैना के कुछ डायलॉग्स और माइंड गेम्स में थोड़ी और धार हो सकती थी।
निष्कर्ष: देखना चाहिए या नहीं?
अगर आप क्राइम, थ्रिलर और साइकोलॉजिकल कहानियों के शौकीन हैं, तो “KaanKhajura” आपके लिए एक शानदार अनुभव हो सकता है। यह शो आपको एक क्रिमिनल के दिमाग में ले जाएगा – वो भी इतने रियल तरीके से कि आप खुद डर जाएं।
हमारी रेटिंग: 🌟🌟🌟 (5 में से 3 स्टार)
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कहानी – ⭐⭐⭐⭐
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अभिनय – ⭐⭐⭐⭐
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सिनेमैटोग्राफी – ⭐⭐⭐
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डायलॉग्स और थ्रिल – ⭐⭐.5
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क्लाइमेक्स और सरप्राइज़ – ⭐⭐⭐⭐
तो दोस्तों, अगर आप वाकई में कुछ हटके, दमदार और माइंड ट्विस्टिंग वेब सीरीज की तलाश में हैं, तो “KanKhajura” को मिस न करें। एक बार बैठ गए देखने, तो उठने का मन नहीं करेगा।
जल्दी देखो, वरना स्पॉइलर इंटरनेट पे तैरने लगेंगे!