UPI Transaction Charge: ₹3000 से ऊपर UPI Payment पर लग सकता है नया MDR टैक्स, जानिए क्या होगा असर

भारत में Unified Payment Interface (UPI) ने डिजिटल लेनदेन की दुनिया को पूरी तरह बदल दिया है। चाहे गली के चाय वाले से पेमेंट हो या शॉपिंग मॉल में ब्रांडेड कपड़े खरीदने की बात – हर जगह लोग UPI का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन अब इस सुविधा पर सरकार एक नया चार्ज लगाने की तैयारी में है। खबर है कि केंद्र सरकार ₹3000 से ऊपर के UPI ट्रांजैक्शंस पर Merchant Discount Rate (MDR) वसूलने पर विचार कर रही है।

क्या है यह नया चार्ज और किसे पड़ेगा भारी?

NDTV Profit में प्रकाशित श्रीमी चौधरी की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार UPI पेमेंट्स पर ₹3000 से अधिक के लेनदेन पर MDR लागू करने की योजना पर काम कर रही है। जून 2025 के पहले सप्ताह में प्रधानमंत्री कार्यालय, आर्थिक मामलों के विभाग और वित्तीय सेवा विभाग के बीच इस प्रस्ताव पर बैठक हुई थी। यह मीटिंग इस संभावना की ओर इशारा करती है कि छोटे लेनदेन फिलहाल इस चार्ज से बाहर रहेंगे।

MDR होता क्या है?

MDR यानी Merchant Discount Rate वह शुल्क होता है जो दुकानदार को किसी बैंक या पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर को देना पड़ता है, जब ग्राहक UPI, डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करता है। फिलहाल, जनवरी 2020 से UPI और RuPay कार्ड्स पर कोई MDR नहीं लिया जा रहा था। इसका सीधा फायदा दुकानदारों और ग्राहकों – दोनों को हुआ और UPI ट्रांजैक्शन ने जबरदस्त ग्रोथ पकड़ी।

लेकिन सरकार और बैंक अब इस फ्री मॉडल को महंगा मान रहे हैं।

UPI इतना महंगा क्यों हो रहा है?

सरकार ने जब जनवरी 2020 में UPI ट्रांजैक्शन को MDR से मुक्त किया, तब से Person-to-Merchant (P2M) ट्रांजैक्शंस में बंपर बढ़त देखने को मिली। सिर्फ दिसंबर 2024 में 16.73 अरब ट्रांजैक्शन हुए, जिनकी वैल्यू ₹23.25 लाख करोड़ रही। पूरे साल 2024 में ₹172 अरब का लेनदेन हुआ। लेकिन इसके साथ ही UPI सिस्टम को बनाए रखने की लागत भी तेजी से बढ़ी है।

CNBC-TV18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, UPI नेटवर्क को सालाना ऑपरेट करने की लागत ₹10,000 करोड़ है, लेकिन सरकार केवल ₹1,500 करोड़ की सब्सिडी देती है। यह स्पष्ट रूप से बैंकों और पेमेंट कंपनियों के लिए घाटे का सौदा बन गया है।

कितना होगा MDR चार्ज?

Payments Council of India ने सुझाव दिया है कि बड़े मर्चेंट्स के लिए 0.3% MDR लागू किया जा सकता है। यानी अगर आपने ₹5000 का सामान खरीदा और UPI से पेमेंट किया, तो दुकानदार को बैंक को ₹15 चार्ज देना होगा। ₹10,000 पर यह ₹30 हो जाएगा।

यह दर वर्तमान में क्रेडिट या डेबिट कार्ड पर लगने वाले MDR (0.9%-2%) से कम है। लेकिन अगर यह लागू हुआ, तो दुकानदार यह चार्ज ग्राहक पर ही डाल सकते हैं। यानी आपके लिए हर बड़ी खरीददारी थोड़ी महंगी हो सकती है।

UPI ट्रांजैक्शन पर चार्ज लगाने की वजहें क्या हैं?

  1. बढ़ती लागत:
    बैंकों और डिजिटल पेमेंट कंपनियों को सर्वर, सिक्योरिटी सिस्टम, नेटवर्क रखरखाव आदि के लिए मोटा खर्च करना पड़ता है।

  2. व्यापक उपयोग:
    UPI अब केवल छोटे दुकानदारों तक सीमित नहीं है, बल्कि शॉपिंग मॉल्स, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स और बड़े ब्रांड्स तक में इस्तेमाल हो रहा है।

  3. सरकार की सब्सिडी का भार:
    सब्सिडी कम है, और ट्रांजैक्शन की संख्या व मूल्य लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे घाटा और बढ़ता जा रहा है।

  4. सर्विस क्वालिटी:
    डिजिटल ट्रांजैक्शन को फास्ट और सिक्योर बनाए रखने के लिए जरूरी है कि ऑपरेटरों के पास पर्याप्त फंड हो।

अंतरराष्ट्रीय मोर्चे से खबर: अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर में बड़ी राहत

अब बात करते हैं दूसरी बड़ी खबर की – अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वॉर में नया मोड़ आया है। लंदन में 9-10 जून 2025 को हुई एक हाई लेवल मीटिंग में दोनों देशों ने व्यापारिक समझौते पर सहमति के संकेत दिए हैं।

ट्रेड वॉर की शुरुआत:
अप्रैल 2025 में US प्रेसिडेंट Donald Trump ने चीन से आने वाले सामानों पर 145% टैक्स लगाया था। जवाब में चीन ने भी 125% टैरिफ और Rare Earth Minerals के निर्यात पर रोक लगा दी थी।

लंदन मीटिंग का असर:
इस वार्ता में दोनों देशों ने टैरिफ पर 90 दिनों का पॉज लागू करने और Rare Earth Export पर रोक को धीरे-धीरे हटाने की बात की है। इससे वैश्विक बाजार में राहत की लहर दौड़ गई है।

बातचीत में क्या हुआ:
US के वाणिज्य सचिव Howard Lutnick और चीन के वाणिज्य उपमंत्री Li Wengchang की अगुआई में बैठक हुई। दोनों ने प्रेस को बताया कि एक फ्रेमवर्क एग्रीमेंट तैयार कर लिया गया है, जो दोनों राष्ट्राध्यक्षों की मंजूरी के बाद लागू होगा।

Rare Earth Minerals क्यों हैं खास?
ये खनिज इलेक्ट्रिक व्हीकल, सेमीकंडक्टर्स और हाईटेक इंडस्ट्री के लिए बेहद जरूरी होते हैं। चीन के एक्सपोर्ट बैन से भारत, अमेरिका, जापान और जर्मनी जैसे देशों की ऑटो इंडस्ट्री पर बड़ा असर पड़ा था।

अब आगे क्या?

  • टैरिफ में रियायत

  • एक्सपोर्ट कंट्रोल में ढील

  • चीन के छात्रों के लिए अमेरिकी वीज़ा पॉलिसी में सुधार

  • Rare Earth Export Restrictions में राहत

हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि यह केवल एक प्रारंभिक समझौता है, और अब भी दोनों देशों के बीच कई संरचनात्मक मुद्दे बाकी हैं।


निष्कर्ष

जहां एक ओर भारत में UPI Charges से आम लोगों की जेब पर असर पड़ सकता है, वहीं अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड डील की सकारात्मक खबरें वैश्विक आर्थिक माहौल को स्थिरता देने में मदद कर सकती हैं।

भारत में डिजिटल लेनदेन की सफलता इस बात का प्रमाण है कि तकनीक को सही पॉलिसी सपोर्ट मिले तो आम जनता उसे अपनाने में पीछे नहीं रहती। अब देखना यह होगा कि सरकार UPI MDR Policy 2025 को कैसे लागू करती है – क्या चार्ज ग्राहकों पर पड़ेगा, या सिर्फ दुकानदारों को देना होगा?

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